रहता भी है, सहता भी है,
बनकर दरिया सा बहता भी है!!
पाता भी है, खोता भी है,
लिपट लिपट कर रोता भी है !!
थकता भी है, चलता भी है,
कागज़ सा दुखो में गलत भी है !!
गिरता भी है, संभलता भी है,
सपने फिर नए बुनता भी है !!
लक्ष्य भी है, मंज़र भी है,
चुभता मुश्किलों का खंज़र भी है !!
प्यास भी है, आस भी है,
ख्वाबो का उलझा एहसास भी है !!
छु ले आसमान जमीन की तलाश न कर,
जी ले जिंदगी खुशी की तलाश न कर,
तकदीर बदल जाएगी खुद ही मेरे दोस्त,
मुस्कुराना सीख ले वजह की तलाश न कर.
खोल दे पंख मेरे, कहता है परिंदा, अभी और उड़ान बाकी है,
जमीं नहीं है मंजिल मेरी, अभी पूरा आसमान बाकी है,
लहरों की ख़ामोशी को समंदर की बेबसी मत समझ ऐ नादाँ,
जितनी गहराई अन्दर है, बाहर उतना तूफ़ान बाकी है…
रहता भी है, सहता भी है,
बनकर दरिया सा बहता भी है!!
पाता भी है, खोता भी है,
लिपट लिपट कर रोता भी है !!
थकता भी है, चलता भी है,
कागज़ सा दुखो में गलत भी है !!
गिरता भी है, संभलता भी है,
सपने फिर नए बुनता भी है !!
लक्ष्य भी है, मंज़र भी है,
चुभता मुश्किलों का खंज़र भी है !!
प्यास भी है, आस भी है,
ख्वाबो का उलझा एहसास भी है !!
ईश्वर कहते है उदास न हो,
मैं तेरे साथ हुँ,
पलकों को बंद कर
और दिल से याद कर,
मैं कोई और नहीं
तेरा विश्वास हुँ…
जीवन में हर जगह हम "जीत" चाहते हैं...
सिर्फ फूलवाले की दूकान ऐसी है
जहाँ हम कहते हैं कि "हार" चाहिए।
क्योंकि हम भगवान से "जीत" नहीं सकते।
हर सुबह नए काफिले में सवार होता हूं.
हर दोपहर नए दर्द से नजरे चार होता हूं.
शाम को गहराती है दर्दे यारी..
फिर नयी सुबह के इन्तज़ार में होता हूं. .
आप जब भी परेशान हो तो,
आईने के सामने जाकर खडे हो जाए,
उसमे आपको एक व्यक्ती नजर आएगा,
यही वह व्यक्ती है जो,
आपकी हर समस्या को हल कर सकता है…
एक तितली की उम्र केवल 14 दिनों की ही होती है,
पर वो अपना हर एक दिन पुरे मौज-मजे मे बिताती है,
जीवन बहुमूल्य है इसके हर एक पल को खुशी के साथ गुजारे...
प्रार्थना और ध्यान इंसान के लिए बहुत जरुरी है,
प्रार्थना मे भगवान आपकी बात सुनते है,
और ध्यान मे आप भगवान की बात सुनते है…
जिंदगी तो जख्मों से भरी है,
वक्त को मलहम बनाना सिख लो,
हारना तो मौत के सामने है,
पर फिलहाल जिंदगी से जितना सिख लो…
जिंदगी मे अगर कोई काम करने का
एक बार सोच लिया तो उसे पूरा करो,
सोचो मत यही कामयाबी का राज है…
खुशी को बना लो जिंदगी का उसूल,
राह में मिलेंगे कभी कांटे कभी फूल.
होगी कभी-2 जिंदगी में भूल,
फिर भी जिंदगी में रहना सदा कूल.
लिख रहा हूं मैं अजांम जिसका कल आगाज आयेगा,
मेरे लहू का हर एक कतरा इकंलाब लाऐगा
मैं रहूँ या ना रहूँ पर ये वादा है तुमसे मेरा कि,
मेरे बाद वतन पर मरने वालों का सैलाब आयेगा
इतना भी करम उनका कोई कम तो नहीं है,
गम देके वो पूछे हैं कोई गम तो नहीं है,
चल मान लिया तेरा कोई दोष नहीं है,
हालांकि दलीलों में तेरी दम तो नहीं है.
हर एक बात पर वक़्त का तकाजा हुआ,
हर एक याद पर दिल का दर्द ताजा हुआ,
सुना करते थे ग़ज़लों में जुदाई की बातें,
खुद पे बीती तो हकीकत का अंदाजा हुआ..
महफ़िल में हँसना हमारा मिजाज बन गया,
तन्हाई में रोना एक राज बन गया,
दिल के दर्द को चेहरे से जाहिर न होने दिया,
बस यही जिंदगी जीने का अंदाज बन गया..
ये गंदगी तो महल वालो ने फैलाई है
“साहिब”….
वरना गरीब तो सङको से थैलीयाँ तक उठा लेतेहै…!!!
उधार की जिंदगी जाने कब तक चलेगी
अब तक चुका रहे हैं रिश्तों का कर्ज हम
उम्र गुजर जाएगी और पता भी न चलेगा
कि कब मर गए निभाते निभाते फर्ज हम
दिल अरमानो से Houseful है,
पूरे होंगे या नहीं Doughtful है,
इस दुनिया मे हर चीज़ Wonderful है,
पर ज़िंदगी आप जैसे दोस्त से ही Colorful है!!
कभी आंसू कभी ख़ुशी बेची
हम गरीबों ने बेकसी बेची,
चंद सांसे खरीदने के लिए
रोज थोड़ी सी जिन्दगी बेची।
फूल इसलिये अच्छे कि खुश्बू का पैगाम देते हैं,
कांटे इसलिये अच्छे कि दामन थाम लेते हैं,
दोस्त इसलिये अच्छे कि वो मुझ पर जान देते हैं,
और दुश्मनों को मैं कैसे खराब कह दूं...
वो ही तो हैं जो महफिल में मेरा नाम लेते हैं।
दिन की रोशनी ख्वाबों को सजाने में गुजर गई,
रात की नींद बच्चे को सुलाने मे गुजर गई,
जिस घर मे मेरे नाम की तखती भी नहीं,
सारी उमर उस घर को बनाने में गुजर गई।
खामोशी से बिखरना आ गया है,
हमें अब खुद उजड़ना आ गया है,
किसी को बेवफा कहते नहीं हम,
हमें भी अब बदलना आ गया है,
किसी की याद में रोते नहीं हम,
हमें चुपचाप जलना आ गया है,
गुलाबों को तुम अपने पास ही रखो,
हमें कांटों पे चलना आ गया है।
जरुरी तो नहीं जीने के लिए सहारा हो,
जरुरी तो नहीं हम जिनके हैं वो हमारा हो,
कुछ कश्तियाँ डूब भी जाया करती हैं,
जरुरी तो नहीं हर कश्ती का किनारा हो।
कहीं बेहतर है तेरी अमीरी से मुफलिसी मेरी,
चंद सिक्कों की खातिर तूने क्या नहीं खोया है,
माना नहीं है मखमल का बिछौना मेरे पास,
पर तू ये बता कितनी रातें चैन से सोया है।
अब ना मैं हूँ, ना बाकी हैं ज़माने मेरे,
फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे,
ज़िन्दगी है तो नए ज़ख्म भी लग जाएंगे,
अब भी बाकी हैं कई दोस्त पुराने मेरे।
दोस्तों से दूर होना मजबूरी होती है,
हकीकत की दुनिया भी जरुरी होती है,
ऐ दोस्त अगर तू साथ न हो तो,
मेरी तो हर ख़ुशी अधूरी होती है।