पूरी जिंदगी लगा दी... चाबी खोजने में.... अंत में पता चला कि ताला क्या दरवाजे भी नहीं है... परमात्मा के घर में...
भीतर शून्य बाहर शून्य ! शून्य चारों ओर है l मैं नही हूँ मुझमे फिर भी "मैं , मैं " का ही शोर है l🙏🙏