"तुलना" के खेल में मत उलझो, क्योंकि इस खेल का कहीं कोई "अंत" नही.
जहाँ "तुलना" की शुरुआत होती है, वही से "आनंद" और "अपनापन" खत्म होता है.
शुभ प्रभात