"ख्वाईश-मनुष्य" को जीने नहीं देती और "मनुष्य-ख्वाईश" को मरने नहीं देता
उम्मीद कभी हमें छोड़ कर नहीं जाती ...
जल्दबाजी में हम ही उसे छोड़ देते हैं ...