मुस्कुराहट” देख कर समझ जाता हुँ की “मेरी तकदीर” बुलँद है. कौन कहता कि बचपन वापस नही आता… दो घड़ी माँ के पास तो बैठ कर देखो ..! बच्चा ना महसूस करो..फिर कहना ..!!