मेहंदी रोली कंगन का सिँगार नही होता रक्षा बँधन भईया दूज का त्योहार नहीं होता रह जाते है वो घर सूने आँगन बन कर जिस घर मे बेटियों का अवतार नहीं होता जन्म देने के लिए माँ चाहिये राखी बाँधने के लिए बहन चाहिये