ऐ रूठे हुवे दोस्त मुझे इतना बता दे, क्या मुझ से गले मिलने का अब मन नहीं होता, बच्चों की तरह दौड़ के आ सीने से लग जा, ये ईद का दिन है कोई दुश्मन नहीं होता.