अपनी गृहस्थी को कुछ इस तरह बचा लिया करो,
कभी आँखें दिखा दी कभी सर झुका लिया करो ।।
आपसी नाराज़गी को लम्बा चलने ही न दिया करो,
वो न भी हंसें तो तुम मुस्करा दिया करो ।।
रूठ कर बैठे रहने से घर भला कहाँ चलते हैं,
कभी उन्होंने गुदगुदा दिया कभी तुम मना लिया करो ।।
खाने पीने पे विवाद कभी होने ही न दिया करो,
कभी गरम खा ली कभी बासी से काम चला लिया करो ।।
मीयां हो या बीबी महत्व में कोई भी कम नहीं
कभी खुद डॉन बन गए तो कभी उन्हें बॉस बना दिया करो
अपनी गृहस्थी को कुछ इस तरह बचा लिया करो...