मत पूछो मेरे सबर का इन्तेहाँ कान्हा तक है , तू सितम करले तेरी ताकत जहाँ तक है , वफ़ा की उम्मीद जिन्हें होगी ,उन्हें होगी , हमें तो देखने है , तू जालिम कहाँ तक है !!!!