छोड़ा सबका दामन हठयोग में तुम्हारे, मेरी साँसे उखड़ रही वियोग में तुम्हारे, लौट आओ मोहने किस बात पे अड़े हो, मूर्त बनकर बस मंदिर में क्यों खड़े हो.