ऐ दोस्त तुम पे लिखना कहाँ से शुरू करूँ;अदा से करूँ या हया से करूँ;
तुम्हारी दोस्ती इतनी खूबसूरत है;पता नहीं कि तारीफ ज़ुबाँ से करूँ या दुआ से करूँ।
अपनी ज़िंदगी के कुछ अलग ही उसूल हैं;दोस्ती की खातिर हमें काँटे भी क़बूल हैं;
हँस कर चल देंगे काँच के टुकड़ों पर भी;अगर दोस्त कहे कि यह दोस्ती में बिछाये फूल हैं।
वो दिल ही क्या जो वफ़ा ना करे,तुझे भूल कर जिएं कभी खुदा ना करे,
रहेगी तेरी मुहब्बत मेरी जिंदगी बन कर,वो बात और है, अगर जिंदगी वफ़ा ना करे..
इस कदर हम उनकी मोहब्बत में खो गए,की एक नज़र देखा और बस उन्ही के हो गए,
आँख खुली तो अँधेरा था, देखा एक सपना था,आँख बंद की और उन्ही सपनो में फिर खो गए!!!!
प्यार की कोई हद समझना, मेरे बस की बात नहीं,दिल की बातों को न करना, मेरे बस की बात नहीं,
कुछ तो बात है तुझमें तब तो दिल ये तुमपे मरता है,वरना यूँ ही जान गँवाना, मेरे बस की बात नहीं
हर शख्स को दिवाना बना देता है इश्क,जन्नत की सैर करा देता है इश्क,
दिल के मरीज हो तो कर लो महोब्बत,हर दिल को धड़कना सिखा देता है इश्क..
दिल की धड़कन रुक सी गई,सांसें मेरी थम सी गई,
पूछा हमने दिल के डॉक्टर से तो पता चला,
कि सर्दी के कारण आपकी यादें दिल में जम सी गई।
अर्ज़ किया है:
मेरे इश्क के बालिंग ने उसके दिल का विकेट गिरा दिया;पर तक़दीर तो देखो,
उसका बाप अंपायर निकला;.मेरी बाल को "नो बाल" देकर फ्री हिट कर दिया!
तेरी खुशिओं को सजाना चाहता हूँ,तुझे देखकर मुस्कराना चाहता हूँ,
मेरी ज़िन्दगी में क्या अहमियत हैं तेरी,ये लब्ज़ों में नही,पास आकर बताना चाहता हूँ।
किस किस तरह छुपाऊं अब मैं तुम्हें,
मेरी मुस्कान में भी तुम नजर आने लगे हो।
तुम मिल गए तो मुझ से नाराज है खुदा,
कहता है कि तू अब कुछ माँगता नहीं है।
लत तेरी ही लगी है, नशा सरेआम होगा,
हर लम्हा जिंदगी का सिर्फ तेरे नाम होगा।
महका सा दिन महकती सी रात आए,
तुम कहो तो खुशबू सी कोई बात आए।
कुछ यूँ उतर गए हो मेरी रग-रग में तुम,
कि खुद से पहले एहसास तुम्हारा होता है।
खुदा करे वो मोहब्बत जो तेरे नाम से है,
हजार साल गुजरने पे भी जवान ही रहे।
जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है,
माँ दुआ करती हुई ख्वाब में आ जाती है।
सख्त राहों में भी आसान सफ़र लगता है,
ये मेरी माँ की दुआओं का असर लगता है।
रूह के रिश्तों की ये गहराइयाँ तो देखिये,
चोट लगती है हमें और चिल्लाती है माँ,
हम खुशियों में माँ को भले ही भूल जायें,
जब मुसीबत आ जाए तो याद आती है माँ।
सबकुछ मिल जाता है दुनिया में मगर,
याद रखना की बस माँ-बाप नहीं मिलते,
मुरझा कर जो गिर गए एक बार डाली से,
ये ऐसे फूल हैं जो फिर नहीं खिलते।
तेरे क़दमों में ये सारा जहां होगा एक दिन,
माँ के होठों पे तबस्सुम को सजाने वाले।
किसी भी मुश्किल का अब किसी को हल नहीं मिलता,
शायद अब घर से कोई माँ के पैर छूकर नहीं निकलता।
दिल के छालों को कोई शायरी कहे,
तो दर्द नहीं होता,
तकलीफ तो तब होती है
जब लोग वाह वाह करते हैं।
अपने हिस्से की जिंदगी तो हम जी चुके चुन्नी बाबू,
अब तो बस धडकनों का लिहाज़ करते हैं,
क्या कहें इन दुनिया वालों को जो,
आखिरी सांस पर भी ऐतराज़ करते हैं।
गर्मी-ए-हसरत-ए-नाकाम से जल जाते हैं,
हम चिरागों की तरह शाम से जल जाते हैं,
शमा जिस आग में जलती है नुमाइश के लिए,
हम उसी आग में गुमनाम से जल जाते हैं,
क पल में जो आकर गुजर जाये,
ये हवा का वो झोका है और कुछ नहीं,
प्यार कहती है दुनिया जिसे,
एक रंगीन धोखा है और कुछ नहीं।
फूल खिलते हैं बहारों का समा होता है,
ऐसे मौसम में ही तो प्यार जवां होता है,
दिल की बातों को होठों से नहीं कहते,
ये फ़साना तो निगाहों से बयाँ होता है।
काटे नहीं कटते लम्हे इंतज़ार के,
नजरें बिछाए बैठे हैं रस्ते पे यार के,
दिल ने कहा देखे जो जलवे हुस्न-ए-यार के,
लाया है उन्हें कौन फलक से उतार के।
लोग वाकिफ हैं मेरी आदतों से,
रूतबा कम ही सही पर लाजवाब रखता हूँ।
ठहर सके जो लबों पे हमारे,
हँसी के सिवा है मजाल किसकी।
इलाज ये है कि मजबूर कर दिया जाऊँ,
वगरना यूँ तो किसी की नहीं सुनी मैंने।