हमको मिटा सके यह ज़माने में दम नहीं,
हमसे ज़माना ख़ुद है ज़माने से हम नहीं।
हमको मिटा सके यह ज़माने में दम नहीं,
हमसे ज़माना ख़ुद है ज़माने से हम नहीं।
लाख तलवारे बढ़ी आती हों गर्दन की तरफ,
सर झुकाना नहीं आता तो झुकाए कैसे।
मेरे बारे में अपनी सोच को थोड़ा बदल के देख,
मुझसे भी बुरे हैं लोग तू घर से निकल के देख।
समंदर बहा देने का जिगर तो रखते हैं लेकिन,
हमें आशिकी की नुमाइश की आदत नहीं है दोस्त।
मेरे लफ्जों से न कर मेरे किरदार का फ़ैसला,
तेरा वजूद मिट जायेगा मेरी हकीकत ढूंढ़ते ढूंढ़ते।
गुमां इतना नहीं अच्छा तू सुन ले पहले जाने के,
पलटने पर मुकर सकता हूँ तुझको जानने से भी।
छोड़ दी है अब हमने वो फनकारी वरना,
तुझ जैसे हसीन तो हम कलम से बना देते थे।
एहसान ये रहा तोहमत लगाने वालों का मुझ पर,
उठती उँगलियों ने मुझे मशहूर कर दिया।
कमाल का जिगर रखते है कुछ लोग,
दर्द लिखते हैं और आह तक नहीं करते।
मेरे आसुंओ के दाम तुम चुका नहीं पाओगे,
मोहब्बत न ले सके तो दर्द क्या खरीदोगे।
मेरी फितरत में नहीं अपना दर्द बयां करना,
अगर तेरे वजूद का हिस्सा हूँ तो महसूस कर मुझे।
तोड़ दिए मैंने घर के आईने सभी,
प्यार में हारे हुए लोग मुझसे देखे नहीं जाते।
तू है सूरज तुझे मालूम कहाँ रात का दर्द,
तू किसी रोज मेरे घर में उतर शाम के बाद।
जो नजर से गुजर जाया करते हैं,
वो सितारे अक्सर टूट जाया करते हैं,
कुछ लोग दर्द को जाहिर नहीं होने देते,
बस चुपचाप बिखर जाया करते हैं।
कागज़ पे हमने भी ज़िन्दगी लिख दी,
अश्क से सींच कर उनकी खुशी लिख दी,
दर्द जब हमने उबारा लफ्जों पे,
लोगों ने कहा वाह क्या गजल लिख दी।
हँसते हुए ज़ख्मों को भुलाने लगे हैं हम,
हर दर्द के निशान मिटाने लगे हैं हम,
अब और कोई ज़ुल्म सताएगा क्या भला,
ज़ुल्मों सितम को अब तो सताने लगे हैं हम।
तकलीफ ये नहीं कि तुम्हें अज़ीज़ कोई और है,
दर्द तब हुआ जब हम नजरंदाज किए गए।
जाने-तन्हा पे गुजर जायें हजारो सदमें,
आँख में अश्क भी आयें ये ज़रूरी तो नहीं।
तजुर्बे ने हमें एक बात तो सिखाई है,
एक नया दर्द ही पुराने दर्द की दवाई है।
जब फुरसत मिले चाँद से मेरे दर्द की कहानी पूछ लेना,
सिर्फ एक वो ही है मेरा हमराज तेरे जाने के बाद।
लोग कहते है हर दर्द की एक हद होती है,
शायद उन्होंने मेरा हदों से गुजरना नहीं देखा।
मुझे क़बूल है हर दर्द, हर तकलीफ़ तेरी चाहत में..
सिर्फ़ इतना बता दे, क्या तुझे मेरी मोहब्बत क़बूल है?
खुशियों से नाराज़ है मेरी ज़िन्दगी,
बस प्यार की मोहताज़ है मेरी ज़िन्दगी,
हँस लेता हूँ लोगों को दिखाने के लिए,
वैसे तो दर्द की किताब है मेरी ज़िन्दगी।
गुजरता वक़्त हमें एहसास दिला देता है,
जिसे चाहते हैं हम वो ही दिल दुखा देता है,
वक़्त मरहम लगा देता है जिन ज़ख्मो पर,
कोई अपना उस दर्द को फिर से जगा देता है।
एक नया दर्द मेरे दिल में जगा कर चला गया,
कल फिर वो मेरे शहर में आकर चला गया,
जिसे ढूंढते रहे हम लोगों की भीड़ में,
मुझसे वो अपने आप को छुपा कर चला गया।
दर्द के दामन में चाहत के कमल खिलते हैं,
अश्क की लकीर पर यादों के कदम चलते हैं,
रेंगते ख्यालों में नजर आती हैं मंजिलें,
जब भी निगाहों में ख्वाबों के दिए जलते हैं।
कैसे बयान करें आलम दिल की बेबसी का,
वो क्या समझे दर्द आँखों की इस नमी का,
उनके चाहने वाले इतने हो गए हैं अब कि,
उन्हे जब एहसास ही नहीं हमारी कमी का।
मुझको तो दर्द-ए-दिल का मज़ा याद आ गया,
तुम क्यों हुए उदास तुम्हें क्या याद आ गया?
कहने को जिंदगी थी बहुत मुख्तसर मगर,
कुछ यूँ बसर हुई कि खुदा याद आ गया।