महफ़िल में कुछ तो सुनाना पड़ता है,
ग़म छुपाकर मुस्कराना पड़ता है,
कभी हम भी थे उनके दोस्त...
आजकल उन्हें याद दिलाना पड़ता है।
दर्द था दिल में पर जताया कभी नहीं,
आँसू थे आँखो में पर दिखाया कभी नहीं,
यही फ़र्क है दोस्ती और प्यार में,
इश्क़ ने हँसाया कभी नहीं...
और दोस्तों ने रुलाया कभी नहीं।
कही अँधेरा तो कहीं शाम होगी,
मेरी हर ख़ुशी आपके नाम होगी,
कुछ माँग कर तो देखो...दोस्त...
होंठों पर हँसी और हथेली पर मेरी जान होगी।
फूंक मरकर दियो को बुझा सकते है!
किन्तु अगरबत्ती को नहीं, क्योंकि
जो सुगंध फैलता है, उसे कोई बुझा नहीं सकता।
दोस्ती चेहरे की मीठी मुस्कान होती है,
दोस्ती सुख दुःख की पहचान होती है,
रूठ भी जाये हम तो दिल से मत लगाना,
क्योंकि दोस्ती थोड़ी सी नादान होती है।
आसमाँ में मत ढूंढ़ अपने सपनों को,
सपनों के लिए तो जमीं जरुरी है.
सबकुछ मिल जाये तो दुनिया में क्या मजा,
जीने के लिए एक कमी भी जरुरी है.
“जीवन में खुशी का अर्थ लड़ाइयाँ लड़ना नहीं, बल्कि उन से बचना है ।
कुशलता पूर्वक पीछे हटना भी अपने आप में एक जीत है
क्योकि
“अभिमान” की ताकत फरिश्तो को भी “शैतान” बना देती है, और
“नम्रता” साधारण व्यक्ति को भी “फ़रिश्ता” बना देतीहै ।
सादगी
अगर हो
लफ्जो मे, यकीन मानो,
प्यार बेपनाह,
और दोस्त बेमिसाल
मिल ही जाते हैं !!
हरेक सांस लेकर महेकता है तुं
मगर मोतकी और बढता है तुं
कभी उम्र शिशेमें छुपती नहीं
क्युं अक़सर उसे गौर करता है तुं
यहां हो के भी तुं यहां पर नहीं
छलकता हुआ जाम भरता है तुं
पता पुछने, बनके युं अजनबी
उसीकी गलीसे गुझरता है तुं
वफा नाम मरहमकी उम्मीद में
जख़म बेवफाओका सहेता है तुं
न आता नजर तुं कहीं भी खुदा
सुना आदमीसे ही डरता है तुं
समझा ना कोई मेरे दिल की बात को,
दुनीया ने दर्द बिना सोचे दे दिया,
जो सह गये हर दर्द को हम चुपके से,
तो हमको ही
पत्थर_ दिल कह दिया.
कोई ना दे हमें खुश रहने की दुआ,
तो भी कोई बात नहीं...
वैसे भी हम खुशियाँ रखते नहीं,
बाँट दिया करते है...."!
अपनी गृहस्थी को कुछ इस तरह बचा लिया करो,
कभी आँखें दिखा दी कभी सर झुका लिया करो ।।
आपसी नाराज़गी को लम्बा चलने ही न दिया करो,
वो न भी हंसें तो तुम मुस्करा दिया करो ।।
रूठ कर बैठे रहने से घर भला कहाँ चलते हैं,
कभी उन्होंने गुदगुदा दिया कभी तुम मना लिया करो ।।
खाने पीने पे विवाद कभी होने ही न दिया करो,
कभी गरम खा ली कभी बासी से काम चला लिया करो ।।
मीयां हो या बीबी महत्व में कोई भी कम नहीं
कभी खुद डॉन बन गए तो कभी उन्हें बॉस बना दिया करो
अपनी गृहस्थी को कुछ इस तरह बचा लिया करो...
जमीर जिन्दा रख ,कबीर जिन्दा रख ,
सुलतान भी बन जाये तो, दिल में फ़कीर जिन्दा रख
हौसलों की तरकश में कोशिश का वो तीर जिन्दा रख,
हार जा चाहे जिन्दगी में सब कुछ
मगर फिर से वो जीतने की उमींद जिन्दा रख !
जीवन के कुरुक्षेत्र में सदियों से ये सवाल है
अपनों से लड़ने में हर कोई हिचकिचाता है
कृष्ण बहुत समझा गए महाभारत में लेकिन
आज भी कई अर्जुन हथियार डाल जाता है
सब पूछने लगे आखिर क्या बात हो गई
तन्हाई में जो एक पल के लिए बैठी हूं मैं
उदास रहना गुनाह माना जाता है यहां
ऐसे घर में मुजरिम की तरह जीती हूं मैं
बने बनाए रास्तों पर हमको चलना नहीं आया
अजनबी पगडंडियों को ही हमसफर बनाया
मंजिल तक पहुंचने की परवाह अब हमें कहां
हर दिन जिंदगी को एक नए मुकाम पर पाया
अपने सारे राज खुद से भी छिपा लेती है
बताती है उम्रभर किसी से कुछ भी नहीं
जाने क्या क्या जिंदगी में झेला है उसने
मगर दुनिया जान पाती है कुछ भी नहीं
सदियों तक जिंदा रहनेवाली बात लिख गए
रोज पढ़ता है जमाना वो इबारत लिख गए
शहर की बिजली में क्या लिख पाते वो लोग
जो दीपक में रामायण महाभारत लिख गए!
घरवालों की इज्जत की पहरेदार थी बेटी
रिश्तेदारों के दवाबों से बेजार थी बेटी
एक उम्रदराज अमीर उसे ब्याह ले गया
बहुत मजबूर थी गरीब परिवार की बेटी
जाना कहाँ था और कहाँ आ गये,
दुनिया मे बन कर मेहमान आ गये.
अभी तो ज़िंदगी की किताब पूरी पढ़ी भी नही,
और जाने कितने इम्तिहान आ गये.
लाइफ मे कभी कॉंप्रमाइज़ करना पड़े तो
don’t hesitate क्यों कि
“झुकता वही हे जिसमे जान होती है,
अकड़ तो मुर्दे की पहचान होती है.
ये शायरी लिखना उनका काम नही,
जिनके दिल आँखो मे बसा करते हैं!
शायरी तो वो शक्स लिखते हैं,
जो शराब से नही कलम से नशा करते हैं!
“परिवार” प्यार का दूसरा नाम हैं,
अपने परिवार को समय दीजिये
इससे प्रेम और विश्वास का रिश्ता
मजबूत बनता हैं…
याद रखना कही जिन्दगी की
भाग-दौड़ में परिवार ना छूट जाए…
घुट-घुट कर जीता हुआ आदमी एक दिन,
अचानक गुस्से पर काबू नही रख पाया,
कह गया जब अपनों को वह बुरा भला,
फिर रो-रोकर अपने किये पर पछताया…
** परिवार से बड़ा कोई धन नहीं
पिता से बड़ा कोई सलाहकार नहीं
माँ की छांव से बड़ी कोई दुनिया नहीं
भाई से अच्छा कोई भागीदार नहीं
बहन से बड़ा कोई शुभ चिंतक नहीं
इसीलिए “परिवार के बिना जीवन नहीं”! **
भुला के नींद अपनी सुलाया हमको,
गिरा के आँसू अपने हँसाया हमको,
दर्द कभी न देना उन हस्तियों को,
खुदा ने माँ-बाप बनाया जिनको।!
इंसान हमेशा ज़िन्दगी में दो चीज़ो से हारता है, पहला वक़्त और दूसरा प्यार.
वक़्त कभी किसी का नहो होता और प्यार हर किसी को नहीं मिलता.
वक़्त से सीखो बदलते रहने का सबक,
वक़्त कभी खुद को बदलते नहीं थकता.
दोस्त हो या दुश्मन ताल्लुक बस इतना ही रहे
बदले की भावना कभी अपने मन में ना रहे….
दोस्तो से टूट कर रहोगे
तो कुत्ते भी सतायेंगे
और दोस्तो से जुड़ कर
रहोगे तो शेर भी घबरायेंगे.